जय गुरु !
परम प्रेममय युग पुरुषोत्तम श्री श्री ठाकुर के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम !
यजन, याजन और इष्टभृति यह युग पुरुषोत्तम श्री श्री ठाकुर द्वारा विश्व जन मानस में उपस्थित उनके शिष्यों को दिया गया एक जीवन जीने का और बचने-बढ़ने का अचूक साधन है। यह एक ऐसा अचूक साधन है जिससे करोड़ों शिष्य लाभ उठा रहे है।
यजन का अर्थ है - नित्य कर्म के माध्यम से उनको (इष्ट) जानना। नित्य कर्म मतलब नाम-ध्यान।
लाभ :
याजन का अर्थ है - उनके (इष्ट) बारे में दूसरो को जानाना अर्थात बतलाना।
लाभ:
इष्टभृति का अर्थ है - कुछ अर्घ्य लेकर अपने इष्ट को इस प्रकार निवेदित करना जिससे इष्ट से अपनी सत्ता अटूट हो जाय । इष्ट मतलब मंगल और भृति मतलब भरण अर्थात अपने मंगल के लिए इष्ट का भरण-पोषण करना।
लाभ:
यजन का अर्थ है - नित्य कर्म के माध्यम से उनको (इष्ट) जानना। नित्य कर्म मतलब नाम-ध्यान।
लाभ :
- इससे मन शांत और स्थिर होता है।
- नाम मनुष्य को तेज बनाता है जिससे उसकी बोध जागृत होती है, नाम ही मनुष्य को चुम्बक की भांति पकड़ के सभी लोको का दर्शन कराता है। यही नाम भावपार लगाता है। यही नाम आदि और अंत है।
- ध्यान मनुष्य को ग्रहणक्षम बनाता है जिससे उसकी यदास्त (मेमोरी) बढ़ती है।
- इससे कार्य को सही ढंग से करने की शक्ति प्राप्त होती है। मनुष्य लयबद्ध होकर सभी कार्य बिना किसी कष्ट को अनुभव किये करते रहता है और उसे सुख की अनुभूति होती है।
याजन का अर्थ है - उनके (इष्ट) बारे में दूसरो को जानाना अर्थात बतलाना।
लाभ:
- इससे निष्ठां और प्रेम दोनों वृद्धि पाते है।
- भक्ति में वृद्धि होती है।
- इष्ट का असीम प्रेम पाता है।
इष्टभृति का अर्थ है - कुछ अर्घ्य लेकर अपने इष्ट को इस प्रकार निवेदित करना जिससे इष्ट से अपनी सत्ता अटूट हो जाय । इष्ट मतलब मंगल और भृति मतलब भरण अर्थात अपने मंगल के लिए इष्ट का भरण-पोषण करना।
लाभ:
- श्री श्री ठाकुर ने अपने श्रीमुख से स्वयं कहा है -" यजन, याजन और ईष्टभृति, करने से काटे महाभिति" अर्थात ये तीनो साधन करने से बड़ा से बड़ा भी आफत-विपति, काल का महा प्रकोप भी कट जाता है। इसमे कोई संशय नहीं होनी चाहिए। क्योकि यह कलयुग में प्रभु का दिया हुआ बचने और बढ़ने का अचूक साधन है। इसके सिवा वर्त्तमान युग में बचना और बढ़ना मुश्किल है।
- कहा जाता है कि जैसे द्रोपदी के एक छोटे से कपड़े के टुकड़े के बदले श्री कृष्ण ने कितनी लम्बी साड़ी देकर लाज बचाई थी, उसकी रक्षा की थी। कभी श्री कृष्ण की ऊँगली कट गयी थी तो द्रोपदी ने अपने साड़ी के टुकड़ा फाड़ कर श्री कृष्ण को निवेदन किया था। वही technology प्रोद्योगिकी श्री श्री ठाकुर ने हमें इष्ट भृति के रूप में दी है। इष्टभृति निवेदन से प्रभु दयाल स्वयं हमारी रक्षा करते है और अकाल मृत्यु से बचाते है।
- इससे श्री श्री ठाकुर की दीक्षा बची रहती है, और हम रोज़ रिचार्ज होते रहते है 24 घंटे के लिए। जैसे मोबाइल में 10 रूपये का रिचार्ज करने से मोबाइल रिचार्ज होकर चालू रहता है।
- इष्टभृति से श्री श्री ठाकुर का एक और उदेश्य है कि निवेदन करने वालो को कर्मनिष्ट बनाना और वृद्धि के पथ पर अग्रसर कर आर्थिक रूप से समृद्ध करना। यह कैसे ? तो जवाब है कि इष्टभृति निवेदन करने वाले की यह चिंता बनी रहती है कि उसे अपने प्रियं परम के लिए अर्थ का जुगाड़ करना है और वह इसके लिए कर्मशील हो उठता है जिससे वह समृधि पाता है।
यह technology प्रोद्योगिकी श्री श्री ठाकुर की वैज्ञानिक मानसिकता को दर्शाता है। श्री श्री ठाकुर वैज्ञानिक मानसिकता के आधार पर ही किसी सवाल का जवाब देते थे जब कोई भी उनसे कोई सवाल करता था । उन्होंने कभी भी अपने को संत या सिद्ध पुरुष दिखाने की कोशिश नहीं की । हमेशा एक साधारण पुरुष की भांति ही सबको नज़र आये, यही उनकी महानता है जो एक पुरुषोत्तम होने का लक्षण है । प्रेम और अपनापन ही उनकी विशेष शैली में घुली होती थी जो सबको आकर्षित करती थी। इतना प्रेम तो हम आम लोग कर ही नहीं सकते । शायद उनके चरणों से थोड़ी मिल जाये तो कुछ प्रतिशत तक ही संभव हो ऐसा मेरा मानना है। इसी प्रेम का कायल तो होता है जीवात्मा, तो क्यों न अपने प्रियम परम के हाथो में आजीवन अपनी हाथ थमा दे। इसी से प्रेम की धारा निकल आये जिसकी चाहत में हर जीव भटकता है यहाँ से वहाँ, कभी इस दर से उस दर तक। कभी मंदिर में , कभी मस्जिद, तो कभी मजनू बन गलियों की खाक छानता है फिर भी वो प्रेम उसके नसीब नहीं होता, हर जगह उसे निराशा ही हाथ लगती है।
एक गुरु भाई ने गीत के माध्यम से याजन किया है :
ये तो प्रेम की बात है भईया, छल-कपट से ना ठाकुर मिलेंगे।
वो तो प्रेम के रहते है भूखे, भोग लगाने से ये भूख ना मिटेंगे ।।
यजन याजन और इष्टभृति मूल है बाकी सब तेरा करना फिजूल है -2
गर प्रेम से तू व्रत ये निभा ले, हर फूल तेरे चमन में खिलेंगे ।
ये तो प्रेम की बात है भईया, छल-कपट .................................
इस भजन से यजन, याजन और ईष्टभृति के महत्व का पता चलता है।
एक बार की बात है कि एक व्यक्ति ने श्री श्री ठाकुर से पूछा कि जो लोग यजन, याजन और इष्ट भृति नहीं करते वे तो हमसे भी अधिक वृद्धि पा रहे है। इसका क्या कारण है ? इस पर दीन-दुखियों के दुःख हरण श्री श्री ठाकुर ने कहा कि आपने बलि के बकरे को तो देखा होगा। बलि देने से पहले उसे खुब अच्छे-अच्छे चीजे खिलायी जाती है लेकिन उसे ये नहीं मालूम कि कुछ ही देर में उसका क्या होने वाला है ? उक्त व्यक्ति को समझते देर न लगी कि दयाल क्या कहना चाहते है?
मुझे इस यजन, याजन और इष्ट भृति के पीछे भी परम दयाल का कोई न कोई प्रायोजन ही लगता है। उन्होंने हम पर दयावस् ही ये साधन दिए है अन्यथा क्या जरूरत थी वर्षों से चली आ रही नियमों में संसोधन करने की। आखिर क्यों हमें यजन,याजन और इष्टभृति करने को कहा, वो भी अटूट इष्ट निष्ट होकर। यह प्रभु का प्रायोजन भविष्य के गर्भ में है जिसे थोड़ी प्रेम के साथ बुधि लगाई जाय तो समझी जा सकती है। अर्थात मनुष्य जाति पर वह महाभीति आने वाला है जिससे बचाने के लिए त्रिलोकीनाथ दयाल ठाकुर ने ये साधन दिए। और मुझे पक्का विश्वास है कि ये साधन वर्त्तमान में फेसबुक facebook की भांति ख्याति प्राप्त करेगा। और वो दिन दूर नहीं जब भारत वर्ष के हर घर में यजन, याजन और इष्ट भृति की जाएगी।
वन्दे पुरुषोत्तमम।
जय गुरु !
गर प्रेम से तू व्रत ये निभा ले, हर फूल तेरे चमन में खिलेंगे ।
ये तो प्रेम की बात है भईया, छल-कपट .................................
इस भजन से यजन, याजन और ईष्टभृति के महत्व का पता चलता है।
एक बार की बात है कि एक व्यक्ति ने श्री श्री ठाकुर से पूछा कि जो लोग यजन, याजन और इष्ट भृति नहीं करते वे तो हमसे भी अधिक वृद्धि पा रहे है। इसका क्या कारण है ? इस पर दीन-दुखियों के दुःख हरण श्री श्री ठाकुर ने कहा कि आपने बलि के बकरे को तो देखा होगा। बलि देने से पहले उसे खुब अच्छे-अच्छे चीजे खिलायी जाती है लेकिन उसे ये नहीं मालूम कि कुछ ही देर में उसका क्या होने वाला है ? उक्त व्यक्ति को समझते देर न लगी कि दयाल क्या कहना चाहते है?
मुझे इस यजन, याजन और इष्ट भृति के पीछे भी परम दयाल का कोई न कोई प्रायोजन ही लगता है। उन्होंने हम पर दयावस् ही ये साधन दिए है अन्यथा क्या जरूरत थी वर्षों से चली आ रही नियमों में संसोधन करने की। आखिर क्यों हमें यजन,याजन और इष्टभृति करने को कहा, वो भी अटूट इष्ट निष्ट होकर। यह प्रभु का प्रायोजन भविष्य के गर्भ में है जिसे थोड़ी प्रेम के साथ बुधि लगाई जाय तो समझी जा सकती है। अर्थात मनुष्य जाति पर वह महाभीति आने वाला है जिससे बचाने के लिए त्रिलोकीनाथ दयाल ठाकुर ने ये साधन दिए। और मुझे पक्का विश्वास है कि ये साधन वर्त्तमान में फेसबुक facebook की भांति ख्याति प्राप्त करेगा। और वो दिन दूर नहीं जब भारत वर्ष के हर घर में यजन, याजन और इष्ट भृति की जाएगी।
वन्दे पुरुषोत्तमम।
जय गुरु !
जय गुरू
ReplyDeleteकतिपय कारणोॆ से पिछले कुछ वर्षोॆ से मैं इषिटवृत्ति नहीं दे पाया. अब मैं भूल गया हूँ कि क्या पढ़कर मैं इष्टवृत्ति देता था। मैं सत्संग भवन दिल्ली में श्री श्री ठाकुर के शरण में आया था ।
कृपया मार्गदर्शन करें और हिंदी में इष्टवृत्ति देने का मंत्र बताएँ।
मेरा मेल आई डी - sunil.calts@gmail.com है।
जय गुरू
किसी ऋत्विक से मिले सही मार्ग दर्शन करेंगे
Deleteजीव जगत जीवन कराड करुणा मये स्वामी पाया जन्म मिली सब दया तुम्हारी अन्तर्यामी सर्वाग प्राप्त ही जगतपते तव तृप्ति और भोगार्थ इस्तभृति करके ग्रहण कृपा कर,करो कृतात
DeleteDada aap istvriti sure kiye
DeleteDada aap istvriti sure kiye
DeleteDada aap istvriti sure kiye
DeletePlease koi mujhe istvriti ki mantra Puri bata do
DeleteJoy guru
ReplyDeleteJoy guru
ReplyDeleteJoy guru
ReplyDeleteJoy guru
ReplyDeletejay guru
ReplyDeleteJay guru
ReplyDeletePlease provide mantra in sanskrit
ReplyDeleteइृष्टभृति मन्त्र ( संस्कृत )
ReplyDeleteजीवन करुणा सिन्धो ! जगतस्त्वं जगत्पते |
भवत: कृपया लब्धं जीवनं सफलं मम ॥
प्रागेव सर्वकार्य्येभ्यस्तवैव भोग-तृप्तये ।
इष्टभूति: कृतास्माभि: कृपया गृहयतां प्रभो ॥
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteDue to some reason I am unable to do istravriti ,kindly provide me istravriti mantra ,morning and evening prayer my mail I'd-deepakaslp2013@gmail.com
ReplyDeleteAvailable in youtube
DeleteJoy guru dada
ReplyDeleteJoy guru dada
ReplyDeleteHme istvirti kiye salo ho gye kuch yaad h kuch bhul gya
ReplyDeleteKripya istvirti ki copy whatapps kre
Hm delhi m h
8877100899 par
ReplyDeleteकाफी दिन से मैं इस्तवृति जमा नही कर पाया हूँ।ये कैसे होगा कृपया बताइये
ReplyDeleteयहां दिल्ली में कोई ऋत्विक जी है तो कृपया हमें उनका no देने का कास्ट करें।
ReplyDeleteकृपया हमारी मदद करें
ReplyDeleteजय गुरु
ReplyDeleteवंदे पुरुषोत्तमम
Online ya koi UPI code hai,jisse Istvriti Jama karayi ja sake.
ReplyDeleteSatsang ki offical site me jake jis bank se jama Krna hai us bank ka challan nikal lijiye fir usko bhar ke bank me jama kr dijiye
ReplyDeleteJay guru🙏
Jo guru bhai ne istavirty jama nhi kia hai ya istavirty mantra bul gaye hai wo karpaya krke jald se jald kisi Ritwick se contact kare ....bina Ritwick ke dubara apne mann se kuch na kare
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