यह हर सच्चे भारतीय की पुकार है।
आज हम जहाँ खड़े है वो पुन्य धरती है
इस धरती को किसी राम या कृष्ण का इन्तेजार है।
बहुत दुःख होता ये देख कर की कोई किसी की
क्यों नहीं सुनता ? क्यों हर शक्श यहाँ लाचार है?
क्या मानव मानव से प्रेम नहीं करता?
यदि करता है तो क्यों एक दुसरे का शिकार है?
क्यों हम चोरो से इज्जत की उम्मीद करते है?
जिनकी इज्जत ही सौदा और इज्जत ही आहार है?
- श्याम बाबु गुप्ता
आज हम जहाँ खड़े है वो पुन्य धरती है
इस धरती को किसी राम या कृष्ण का इन्तेजार है।
बहुत दुःख होता ये देख कर की कोई किसी की
क्यों नहीं सुनता ? क्यों हर शक्श यहाँ लाचार है?
क्या मानव मानव से प्रेम नहीं करता?
यदि करता है तो क्यों एक दुसरे का शिकार है?
क्यों हम चोरो से इज्जत की उम्मीद करते है?
जिनकी इज्जत ही सौदा और इज्जत ही आहार है?
- श्याम बाबु गुप्ता
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